Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता जीवन के हर पहलू पर ज्ञान की बात करती है. यह सिर्फ हमें ज्ञान की बातें ही नहीं बताती है बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाने का काम करती है. जो इंसान भगवद्गीता का पाठ करता है वह मानसिक शांति, स्थिरता और आत्मविश्वास को प्राप्त कर सकता है. गीता के ये उपदेश जीवन के मूल्यों, कर्म, धर्म, योग, आध्यात्म और भक्ति मार्ग पर आधारित है. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश को भले ही अर्जुन को सुनाया था. लेकिन यह दुनिया के हर व्यक्ति का मार्गदर्शन करती है. गीता के उपदेश की जितनी प्रासंगिकता महाभारत काल में थी उतनी ही इस घोर कलयुग के काल में भी है. गीता के उपदेश में मनुष्य के सद्गुण और दुर्गुण दोनों का उल्लेख है. ऐसे में गीता के जरिए भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि जिस इंसान में ये चीजें होती हैं वह अपाहिज के समान होता है.
- भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जरूरत से ज्यादा आराम करने वाला इंसान कहीं का नहीं होता है. वह बिना किसी शारीरिक कमी के अपाहिज या अपंग हो जाता है. जो इंसान किसी काम को करने में आलसपन दिखाता है. वह हर काम में पीछे रह जाता है. उसे समय पर कोई भी चीज नहीं मिलती है.
- श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है कि जब इंसान को जरूरत से ज्यादा प्यार मिलने लगता है तो वह अपाहिज हो जाता है. ऐसे में किसी भी इंसान से हद से ज्यादा प्रेम नहीं करना चाहिए. अक्सर माता-पिता बच्चों को जरूरत से ज्यादा लाड प्यार करते हैं, जो कि बड़े होकर बच्चों के लिए बहुत नुकसानदायक साबित होता है. ऐसे बच्चों के बड़े होकर बिगड़ने की ज्यादा संभावना रहती है.
- भगवद्गीता में बताया गया है कि जो इंसान सफल होने के बाद अहंकारी हो जाता है और बड़े-छोटे की कद्र करना भूल जाता है तो समझिए वह दिमाग से अपाहिज हो गया है, क्योंकि जो अहंकार वही व्यक्ति करता है. जिसमें किसी के प्रति दया-भाव नहीं होता है.
- भगवद्गीता के अनुसार, जो दूसरे इंसान के प्रति ज्यादा मोह रखता है वह मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है, क्योंकि जरूरत से ज्यादा किसी के प्रति मोह रखने से इंसान किसी भी काम को करे के लायक नहीं रहता है. ऐसे मनुष्य अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं.
- श्रीमद्भगवद्गीता के मुताबिक, जो इंसान क्रोधी स्वभाव का होता है वह मानसिक विकृति का शिकार हो जाता है, क्योंकि क्रोधी इंसान सिर्फ अपने आप का नुकसान करता है. इससे इंसान का शारीरिक के साथ मानसिक क्षति भी होता है.